सऊदी अरब सरकार ने हज यात्रा के दौरान एक बड़ा बदलाव करते हुए महिला और पुरुष आजमीन (हज यात्री) को एक साथ एक ही कमरे में ठहराने की व्यवस्था खत्म कर दी है। इसका मतलब यह हुआ कि अब पति-पत्नी या करीबी रिश्तेदार भी हज के दौरान एक कमरे में नहीं रुक सकेंगे। पुरुषों को महिला आजमीन के कमरों में जाने की अनुमति भी नहीं होगी।
हर साल पौने दो लाख भारतीय करते हैं हज यात्रा
भारत से हर साल करीब 1.75 लाख हज यात्री सऊदी अरब रवाना होते हैं। इन्हें ठहराने के लिए हज कमेटी ऑफ इंडिया होटल और इमारतें किराए पर लेती है। अभी तक एक ही राज्य के महिला और पुरुष यात्रियों को कमरे के आकार के अनुसार ग्रुप बनाकर रखा जाता था, जिससे पति-पत्नी या परिवार के लोग साथ रुक सकें।
हज 2026 की गाइडलाइन में बदलाव साफ
हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा जारी हज 2026 की गाइडलाइन के मुताबिक, सऊदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब महिला और पुरुष हज यात्रियों के लिए अलग-अलग कमरे होंगे। राज्य हज कमेटी के सचिव एसपी तिवारी के मुताबिक, कोशिश होगी कि एक ही शहर के यात्रियों को एक ही इमारत में रखा जाए और पति-पत्नी या करीबी रिश्तेदारों के कमरे अगल-बगल हों, ताकि जरूरत पड़ने पर मदद की जा सके।
बगैर महरम महिलाएं एक साथ रहेंगी
तिवारी ने बताया कि जो महिलाएं बिना महरम (पुरुष संरक्षक) के हज पर जाती हैं, उनके लिए अलग व्यवस्था रहेगी और वे एक साथ एक ही कमरे में ठहरेंगी।
भारतीय यात्रियों को मिली छूट भी खत्म
अब तक सऊदी सरकार भारतीय हज यात्रियों को विशेष छूट देती थी क्योंकि भारत से जाने वाले अधिकांश यात्री उम्रदराज और कम पढ़े-लिखे होते हैं। उन्हें एक ही कमरे में रहने और साझा किचन का इस्तेमाल करने की अनुमति थी। लेकिन पिछले साल से महिला और पुरुष यात्रियों को अलग-अलग रखने की योजना बन रही थी, क्योंकि कई लोगों की शिकायत थी कि एक कमरे में रहने से महिलाओं की बेपर्दगी होती है।
अंतिम फैसला सऊदी सरकार का
हज कमेटी ऑफ इंडिया इस व्यवस्था से जुड़ी व्यवहारिक परेशानियों पर सऊदी सरकार को पत्र लिखेगी, लेकिन अंतिम निर्णय वहीं से लिया जाएगा। एसपी तिवारी ने कहा कि दुनियाभर के हज यात्रियों के लिए सऊदी में यही नियम पहले से लागू हैं और अब भारतीय यात्रियों पर भी यह सख्ती से लागू किया जाएगा।