संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को संसद रत्न पुरस्कार समारोह के दौरान अपने राजनीतिक करियर का एक मजेदार और कुछ हद तक शर्मनाक किस्सा साझा किया, जिसने न केवल हंसी बटोरी, बल्कि एक महत्वपूर्ण सीख भी दी।
रिजिजू ने बताया कि जब वह पहली बार लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी से मिलने गए थे, तो उन्होंने सांसदों के लिए “स्मोकिंग रूम” की मांग रख दी थी। इस पर स्पीकर ने उन्हें डांट लगाई और समझाया कि इस तरह के पदों के पास जाने का उद्देश्य गंभीर और सार्थक होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “पहली बार जब मैं स्पीकर सोमनाथ चटर्जी से मिला, तो स्मोकिंग करने वाले सांसदों के लिए एक कमरा मांगने गया था। उन्होंने डांटते हुए कहा, ‘यह तुम्हारी पहली मुलाक़ात है और तुम यही मांग करने आए हो?’ उस दिन मुझे अच्छी-खासी फटकार पड़ी और मैंने सीखा कि ऐसे कार्यालयों में किसी उद्देश्य के साथ जाना चाहिए।”
इस मौके पर उन्होंने राजनीति में वैचारिक मतभेद के बावजूद व्यक्तिगत दुश्मनी से इनकार किया। उन्होंने कहा, “हम सब सहयोगी हैं। 2014 से पहले मेरा अधिकांश संसदीय जीवन विपक्ष में बीता है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता हो सकती है, लेकिन दुश्मनी नहीं।”
विंस्टन चर्चिल के एक किस्से का ज़िक्र करते हुए रिजिजू ने कहा, “एक बार चर्चिल से पूछा गया कि जो सामने बैठे हैं वे कौन हैं, तो उन्होंने कहा- राजनीतिक विरोधी। जब पूछा गया कि जो बगल में बैठे हैं वे कौन हैं, तो बोले- असली दुश्मन। राजनीति यही है, लेकिन हम दुश्मन नहीं हैं।”
भारत में सांसदों की चुनौतियों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यहां एक सांसद औसतन 20 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि कुछ देशों में यह संख्या 66,000 तक होती है।
“हमारे सांसदों से लोग नाले साफ करवाने से लेकर जेल से छुड़वाने तक की उम्मीद करते हैं। बावजूद इसके उनसे सदन में बेहतर प्रदर्शन की अपेक्षा की जाती है। फिर भी उनकी आलोचना होती है, जबकि हर निर्वाचित सांसद सम्मान का पात्र होता है। यह आसान काम नहीं है,” उन्होंने कहा।