भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग का एक ऐतिहासिक अध्याय बुधवार को जुड़ गया, जब इसरो ने नासा के साथ मिलकर विकसित किए गए ‘निसार’ (NISAR) उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। इस उपग्रह को शाम 5:40 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी एफ-16 रॉकेट के जरिए सूर्य समकालिक ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में स्थापित किया गया।
क्या है ‘निसार’ मिशन?
‘निसार’ (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) एक उन्नत पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जो धरती की सतह पर हो रहे भूकंप, भूस्खलन, बर्फबारी, समुद्री और वनस्पतिक बदलावों की निगरानी करेगा। यह उपग्रह दिन-रात और हर मौसम में काम करने में सक्षम है। इसमें दोहरे बैंड की रडार प्रणाली — इसरो द्वारा विकसित एस-बैंड और नासा द्वारा विकसित एल-बैंड — का इस्तेमाल किया गया है।
मिशन की प्रमुख विशेषताएं:
- उपग्रह का वजन: 2,393 किलोग्राम
- रॉकेट: GSLV-F16
- कक्षा: सूर्य समकालिक ध्रुवीय कक्षा (SSPO)
- मिशन अवधि: 5 वर्ष
- लॉन्च लागत: लगभग 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब ₹13,000 करोड़)
- हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी को स्कैन करेगा
भारत और अमेरिका की साझेदारी
इस मिशन को अमेरिका की नासा और भारत की इसरो ने मिलकर अंजाम दिया है। इसरो ने एस-बैंड रडार, सैटेलाइट और लॉन्च सिस्टम, डाटा हैंडलिंग और डाउनलिंक सिस्टम विकसित किए हैं, जबकि नासा ने एल-बैंड रडार, हाई-स्पीड डाटा रिकॉर्डर, जीपीएस रिसीवर, 9 मीटर लंबा बूम और 12 मीटर का रडार रिफ्लेक्टर प्रदान किया है।
इसरो उपग्रह के संचालन की जिम्मेदारी निभाएगा जबकि नासा रडार संचालन और कक्षा में निगरानी की योजना बनाएगा। दोनों एजेंसियां संयुक्त रूप से डेटा प्रोसेस करेंगी।
निसार क्या-क्या करेगा?
- भूकंप और भूस्खलन की निगरानी
- ग्लेशियरों और अंटार्कटिका में बर्फ की परतों के बदलाव का अध्ययन
- जंगलों की संरचना, कृषि भूमि, वेटलैंड और पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव का आकलन
- त्रि-आयामी दृश्य देने वाला उपग्रह
- आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और कृषि अनुसंधान में अहम योगदान
वैज्ञानिकों और नेताओं की प्रतिक्रिया
इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने लॉन्च के बाद कहा,
“मुझे यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि जीएसएलवी एफ-16 ने निसार उपग्रह को इच्छित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है। यह उपग्रह हर मौसम में, दिन और रात में काम करने में सक्षम है और 12 दिनों के अंतराल में पूरी पृथ्वी को स्कैन कर सकता है।”
नासा की उप-सह-प्रशासक केसी स्वेल्स ने इसे दोनों देशों के बीच सहयोग की मिसाल बताते हुए कहा,
“यह मिशन न केवल हमारे तकनीकी सहयोग का प्रतीक है, बल्कि पृथ्वी विज्ञान में भी एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।”
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का बयान
“निसार केवल एक उपग्रह नहीं, यह भारत की वैज्ञानिक साझेदारी का प्रतीक है। यह दुनिया के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ दृष्टिकोण को यह मिशन साकार करता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि निसार से प्राप्त डेटा दो दिन के भीतर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगा और आपातकालीन स्थितियों में यह लगभग रियल टाइम में जानकारी देगा।
क्यों खास है निसार?
‘निसार’ अब तक का सबसे उन्नत और पहला दोहरे बैंड (एस-बैंड + एल-बैंड) सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) उपग्रह है, जो प्राकृतिक और मानवीय आपदाओं के पूर्वानुमान में सरकारों की मदद करेगा। यह दुनिया का पहला GSLV मिशन है जिसे SSPO में भेजा गया है।
निसार से भारत और अमेरिका को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को वैश्विक पर्यावरण, आपदा प्रबंधन, और जलवायु अध्ययन के क्षेत्र में अत्यधिक सटीक और समयबद्ध जानकारी मिलने की उम्मीद है। यह उपग्रह वैज्ञानिकों के लिए धरती पर हो रहे बदलावों को समझने का सबसे शक्तिशाली उपकरण बनने जा रहा है।