नई दिल्ली — एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच 14 सितंबर को संभावित मुकाबले की आधिकारिक घोषणा ने राजनीतिक और खेल दोनों हलकों में बहस छेड़ दी है। गली-मोहल्लों से लेकर संसद तक, यह सवाल उठ रहा है कि हालिया तनाव के बावजूद बीसीसीआई ने टूर्नामेंट में खेलने के लिए हामी क्यों भरी? इसका जवाब सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि भारत की 2036 ओलंपिक की मेजबानी से जुड़ा है।
एसीसी की बैठक में हुआ फैसला
24 जुलाई को ढाका में हुई एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) की बैठक में एशिया कप 2025 के कार्यक्रम को मंजूरी दी गई। अध्यक्ष मोहसिन नकवी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने वीडियो कॉल के जरिए हिस्सा लिया। भारत ने बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए व्यक्तिगत तौर पर प्रतिनिधि भेजने से इनकार कर दिया था।
घोषित कार्यक्रम के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच पहला मुकाबला 14 सितंबर को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में खेला जाएगा। टूर्नामेंट के प्रारूप को देखते हुए भारत-पाकिस्तान के बीच तीन बार आमना-सामना होने की संभावना जताई जा रही है — ग्रुप स्टेज, सुपर-फोर और फाइनल में।
सरकार की बड़ी रणनीति
भारत और पाकिस्तान के बीच किसी द्विपक्षीय श्रृंखला का आयोजन पिछले एक दशक से नहीं हुआ है। हालांकि, भारत ने कभी बहुपक्षीय टूर्नामेंटों में पाकिस्तान से खेलने से मना नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि 2036 ओलंपिक की मेजबानी हासिल करने के लिए भारत को यह दिखाना होगा कि वह खेल के मैदान में राजनीतिक मतभेदों को अलग रख सकता है। यही कारण है कि पाकिस्तान के खिलाफ खेलने को लेकर आपत्ति नहीं जताई गई।
सरकार ने हाल ही में पाकिस्तान की हॉकी टीमों को भारत में होने वाले जूनियर वर्ल्ड कप और एशिया कप में हिस्सा लेने की अनुमति दी है। इससे यह संकेत मिलता है कि कूटनीतिक रणनीति के तहत भारत पाकिस्तान के साथ सीमित खेल संबंध बनाए रखना चाहता है।
संसद से लेकर सियासत तक विरोध
हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जवाबी कार्रवाई के बाद दोनों देशों के संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं। ऐसे माहौल में संसद में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखा विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा, “जिसकी अंतरात्मा जिंदा है वह पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच नहीं देख सकते।”
खेल मंत्रालय और बीसीसीआई का दायरा
खेल मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि बीसीसीआई खेल विधेयक के तहत नहीं आता, इसलिए मंत्रालय क्रिकेट मैचों में सीधा दखल नहीं दे सकता। वहीं हॉकी जैसे खेल मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि अगर सरकार चाहे तो हॉकी प्रतियोगिताओं में पाकिस्तान की भागीदारी को रोका जा सकता था — जो नहीं किया गया।
एशिया कप का फॉर्मेट और संभावित टकराव
इस बार टूर्नामेंट टी20 फॉर्मेट में होगा ताकि अगले साल भारत में होने वाले T20 विश्व कप की तैयारी की जा सके। भारत-पाकिस्तान ग्रुप मुकाबले के बाद सुपर-फोर में भी टकराव संभव है, और अगर दोनों टीमें शीर्ष पर रहीं तो फाइनल में तीसरी बार आमना-सामना होगा। टूर्नामेंट का फाइनल 28 सितंबर को खेला जाएगा, हालांकि स्थानों की घोषणा अभी नहीं हुई है।
बीसीसीआई का पाकिस्तान के खिलाफ खेलने का फैसला सिर्फ क्रिकेट का नहीं, बल्कि कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा है। भारत की नजर 2036 ओलंपिक की मेजबानी पर है, और इस दिशा में यह एक अहम कदम माना जा सकता है।