अक्सर जब किसी इलाके में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ जाती है या वे आक्रामक हो जाते हैं, तो सबसे आम समाधान उन्हें वहां से हटाकर किसी दूसरी जगह छोड़ देना माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वैज्ञानिकों के अनुसार यह तरीका न केवल अप्रभावी है, बल्कि खतरनाक भी साबित हो सकता है? इस प्रक्रिया के पीछे एक वैज्ञानिक सिद्धांत काम करता है, जिसे ‘वैक्यूम इफ़ेक्ट’ (Vacuum Effect) कहते हैं। आइए समझते हैं कि यह क्या है और कुत्तों की आबादी नियंत्रित करने का सही तरीका क्या है।
क्या है ‘वैक्यूम इफ़ेक्ट’?
‘वैक्यूम इफ़ेक्ट’ एक पारिस्थितिक सिद्धांत है जो बताता है कि जब किसी क्षेत्र से वहां के निवासी जानवरों को हटा दिया जाता है, तो वह खाली जगह (वैक्यूम) बन जाती है। प्रकृति का नियम है कि खाली जगह हमेशा भर जाती है। ऐसे में, आसपास के इलाकों से नए जानवर उस खाली जगह पर आकर बस जाते हैं क्योंकि वहां भोजन, पानी और आश्रय जैसे संसाधन आसानी से उपलब्ध होते हैं।
कुत्तों के मामले में यह सिद्धांत पूरी तरह लागू होता है। कुत्ते क्षेत्रीय जानवर होते हैं और अपने इलाके की रक्षा करते हैं। जब आप एक इलाके के कुत्तों को हटा देते हैं, तो पड़ोसी इलाकों के कुत्तों को एक नया और संसाधनों से भरपूर क्षेत्र मिल जाता है। वे तुरंत उस खाली जगह को भरने के लिए आ जाते हैं।
हटाने का तरीका क्यों है उल्टा?
- तेजी से बढ़ती है आबादी: जो नए कुत्ते खाली इलाके में आते हैं, वे संसाधनों का पूरा फायदा उठाते हैं। भरपूर भोजन मिलने के कारण उनकी प्रजनन दर पहले से कहीं ज़्यादा हो जाती है। नतीजा यह होता है कि कुछ ही समय में उस इलाके में कुत्तों की आबादी पहले से भी ज़्यादा हो सकती है।
- रेबीज़ का बढ़ता है खतरा: किसी इलाके के पुराने कुत्तों के समूह को अगर टीका लगाया गया है, तो वे रेबीज़ जैसी बीमारियों के खिलाफ एक सुरक्षा कवच का काम करते हैं। लेकिन जब उन्हें हटा दिया जाता है, तो जो नए कुत्ते आते हैं, उनके टीकाकरण की कोई गारंटी नहीं होती। इससे रेबीज़ फैलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
- समस्या का कोई अंत नहीं: कुत्तों को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह छोड़ना एक अंतहीन चक्र है। आप एक समूह को हटाएंगे, तो दूसरा आ जाएगा। यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है।
तो फिर सही समाधान क्या है?
वैज्ञानिक और पशु कल्याण विशेषज्ञ कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए ‘एनिमल बर्थ कंट्रोल’ (ABC) कार्यक्रम को सबसे प्रभावी तरीका मानते हैं। इस कार्यक्रम के तहत निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं:
- पकड़ना (Catch): इलाके के कुत्तों को मानवीय तरीके से पकड़ा जाता है।
- नसबंदी (Neuter): उनकी नसबंदी की जाती है ताकि वे बच्चे पैदा न कर सकें।
- टीकाकरण (Vaccinate): उन्हें रेबीज़ और अन्य बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगाए जाते हैं।
- वापस छोड़ना (Release): ऑपरेशन के बाद स्वस्थ होने पर उन्हें वापस उसी इलाके में छोड़ दिया जाता है, जहां से उन्हें पकड़ा गया था।
यह तरीका इसलिए कारगर है क्योंकि नसबंदी किए हुए कुत्ते वापस अपने इलाके में रहते हैं और नए कुत्तों को वहां आने से रोकते हैं। इससे उस क्षेत्र की आबादी स्थिर हो जाती है और टीकाकरण के कारण बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। यह कुत्तों और इंसानों, दोनों के लिए एक सुरक्षित और स्थायी समाधान है।