झांसी — उत्तर प्रदेश के झांसी जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है जिसने प्राइवेट लोन वसूली की हकीकत को उजागर कर दिया है। आरोप है कि किश्त न चुकाने पर एक महिला को बैंक कर्मियों ने बंधक बना लिया और करीब 5 घंटे तक बैंक में जबरन बैठाए रखा। मामला कोतवाली मोंठ क्षेत्र के बम्हरौली गांव का है, जहां एक प्राइवेट फाइनेंस कंपनी की यह हरकत चर्चा का विषय बन गई है।
पति की शिकायत पर डायल 112 पहुंची
पीड़िता सुनीता (काल्पनिक नाम) के पति अविनाश (काल्पनिक नाम) ने बताया कि उनकी पत्नी को सोमवार को बैंक बुलाया गया था। वहां जब यह पता चला कि कुछ किश्तें छूटी हैं, तो बैंक कर्मचारियों ने सुनीता को छोड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि जब तक बकाया रकम जमा नहीं होगी, तब तक महिला नहीं जाएगी। सुनीता ने बार-बार अपनी असमर्थता जताई, लेकिन कर्मचारियों ने एक न सुनी। आखिरकार, अविनाश ने डायल 112 पर कॉल कर पुलिस से मदद मांगी।
पुलिस की पीआरवी टीम मौके पर पहुंची, तो बैंक वालों के होश उड़ गए। पुलिस के सामने आनन-फानन में सुनीता को बाहर निकाला गया। इसके बाद पुलिस दोनों को कोतवाली मोंठ ले गई, जहां सुनीता ने लिखित में अपनी आपबीती दर्ज कराई।
महिला का आरोप: तीन किश्तों का पैसा एजेंट ने हड़प लिया
सुनीता का कहना है कि उन्होंने 40,000 रुपये का पर्सनल लोन लिया था, जिसकी मासिक किश्त 2,120 रुपये थी। अब तक वह 11 किश्तें चुका चुकी हैं, लेकिन बैंक रिकॉर्ड में सिर्फ 8 किश्तें ही दिखाई जा रही हैं। सुनीता का गंभीर आरोप है कि बैंक एजेंट कौशल और धर्मेंद्र ने उसकी तीन किश्तों का पैसा गबन कर लिया। इतना ही नहीं, सोमवार को बैंक का सीओ संजय यादव टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश) से उनके घर आया और जबरन उन्हें और उनके पति को बैंक ले गया।
बैंक की सफाई: महिला खुद से बैठी थी, जबरन कुछ नहीं किया
वहीं बैंक का पक्ष कुछ और ही है। बैंक मैनेजर अनुज कुमार (निवासी कानपुर देहात) ने कहा कि महिला सात महीने से किश्त नहीं जमा कर रही थी, इसलिए उसे बुलाया गया था। उन्होंने दावा किया कि महिला अपने पति के साथ आई थी और खुद से बैंक में बैठी थी, किसी ने जबरदस्ती नहीं की।
कोतवाली पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक, महिला की शिकायत और लगाए गए आरोपों की सत्यता जांची जा रही है। बैंक अधिकारियों और संबंधित एजेंटों से पूछताछ की जा रही है।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या प्राइवेट फाइनेंस कंपनियां लोन वसूली के नाम पर आम लोगों को डराने-धमकाने की पुरानी राह पर लौट रही हैं? पुलिस जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी, लेकिन इस तरह की घटनाएं निश्चित रूप से भरोसे को गहरा झटका देती हैं।