नई दिल्ली — भारतीय रेलवे को पिछले पांच वित्तीय वर्षों में ट्रेनों में परोसे जा रहे खराब गुणवत्ता वाले भोजन को लेकर 19,000 से ज़्यादा शिकायतें मिली हैं। यह जानकारी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में दी।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के सांसद जॉन ब्रिटास के सवालों के जवाब में वैष्णव ने बताया कि साल 2023-24 में ऐसी 7,026 शिकायतें दर्ज हुईं, जबकि चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 6,645 शिकायतें सामने आई हैं। ये संख्या वर्ष 2020-21 में दर्ज 253 शिकायतों की तुलना में काफी अधिक है।
रेल मंत्री ने बताया कि यात्रियों की शिकायतों या मिलावटी/अस्वच्छ भोजन की घटनाओं पर “तत्काल और उपयुक्त कार्रवाई” की गई, जिनमें जुर्माना लगाना, अनुशासनात्मक कार्रवाई, काउंसलिंग, चेतावनी आदि शामिल हैं।
रेलवे द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार:
- कुल 19,427 शिकायतों में से 3,137 मामलों में जुर्माना लगाया गया।
- 9,627 मामलों में चेतावनी दी गई।
- 4,467 मामलों में विक्रेताओं को उचित परामर्श दिया गया।
- एक मामले (FY21) में विक्रेता का लाइसेंस रद्द कर दिया गया।
- 2,195 शिकायतें अवास्तविक पाई गईं और ट्रेन में ही सुलझा दी गईं।
रेल मंत्री ने बताया कि इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) वंदे भारत और अन्य लंबी दूरी की ट्रेनों में ऑनबोर्ड कैटरिंग सेवाओं के लिए सेवा प्रदाताओं के चयन हेतु निविदाएं जारी करता है। इन निविदाओं को प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के तहत आवंटित किया जाता है। वर्तमान में 20 अलग-अलग एजेंसियों को ट्रेनों के समूहों के कैटरिंग अनुबंध दिए गए हैं।
खाद्य गुणवत्ता सुधारने के लिए उठाए गए प्रमुख कदमों में शामिल हैं:
- निर्दिष्ट बेस किचन से भोजन की आपूर्ति
- बेस किचन में सीसीटीवी कैमरों की निगरानी
- फूड सेफ्टी सुपरवाइज़रों की तैनाती
- ट्रेनों में IRCTC पर्यवेक्षकों की तैनाती
- नियमित खाद्य नमूनों की जांच और औचक निरीक्षण
रेलवे ने यह भी कहा कि खाद्य गुणवत्ता पर निगरानी बनाए रखने के लिए IRCTC और रेलवे अधिकारी लगातार निरीक्षण करते रहते हैं।